Best Krishna Quotes in Hindi | श्रीकृष्ण के प्रेरणादायक विचार

Written by Kailash Mishra
Published Nov 04, 2025Updated Nov 04, 2025
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Best Krishna Quotes in Hindi श्रीकृष्ण के प्रेरणादायक विचार

भगवान श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के ऐसे प्रकाशस्तंभ हैं, जिनके विचार आज भी लोगों को मार्गदर्शन देते हैं। चाहे वह गीता का उपदेश हो या उनके जीवन की घटनाएँ, श्रीकृष्ण की वाणी हमेशा सत्य, धर्म और प्रेम का संदेश देती है।

उनके विचार केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि अत्यंत व्यावहारिक (practical) भी हैं। यही कारण है कि Krishna Quotes in Hindi पढ़ना न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र—जैसे संबंध, करियर, और व्यक्तिगत विकास—में भी मार्गदर्शन करता है।

इस ब्लॉग में हम आपको श्रीकृष्ण के अनमोल विचार प्रस्तुत करेंगे, जो आपके जीवन में गहराई, सकारात्मकता और आत्मविश्वास भर देंगे।

श्रीकृष्ण के विचार क्यों महत्वपूर्ण हैं?

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन ही एक प्रेरणा है। उनका जन्म कारागार में हुआ, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने हालात को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने हमें सिखाया कि कठिनाइयाँ चाहे कैसी भी हों, सही दृष्टिकोण और कर्म से हम हर परिस्थिति पर विजय पा सकते हैं।

नीचे कुछ कारण दिए गए हैं कि क्यों हमें कृष्णा कोट्स हिंदी में पढ़ने चाहिए:

Krishna Quotes in Hindi – श्रीकृष्ण के अनमोल विचार

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन केवल एक पौराणिक कथा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन-दर्शन है — एक ऐसा मार्ग जो हमें सिखाता है कि सच्चा सुख, शांति और सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है।
उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों साल पहले थे। श्रीकृष्ण के शब्द जीवन की हर परिस्थिति में मार्गदर्शन करने वाले दीपक हैं — चाहे वह कठिनाइयों का समय हो, प्रेम और संबंधों की उलझनें हों, या धर्म और कर्तव्य के निर्णय

इन Krishna Quotes in Hindi के माध्यम से आप न केवल मन की शांति पाएँगे, बल्कि आत्मविश्वास, साहस और सच्ची प्रेरणा भी प्राप्त करेंगे।

1. कर्म ही पूजा है

“कर्म करने का अधिकार तुम्हारा है, पर उसके फलों में कभी नहीं।”
(भगवद गीता, अध्याय 2, श्लोक 47)

अर्थ:
भगवान श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि जीवन में सफलता का रहस्य कर्म पर ध्यान केंद्रित करने में है, न कि उसके परिणाम पर। जब हम फल की चिंता छोड़ देते हैं, तब हमारा कर्म शुद्ध और निस्वार्थ हो जाता है।
यही सच्चे कर्मयोग की पहचान है — काम करो, परिणाम की चिंता मत करो।

2. धर्म की रक्षा

“जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ।”
(अध्याय 4, श्लोक 7)

अर्थ:
यह श्लोक हमें बताता है कि जब अन्याय, अधर्म या बुराई बढ़ती है, तब ईश्वर स्वयं किसी न किसी रूप में धर्म की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
यह संदेश हमें प्रेरित करता है कि हम भी समाज में सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए सदैव सजग रहें।

3. मन को साधो

“जो मन को वश में कर लेता है, उसके लिए मन सबसे अच्छा मित्र है; और जो ऐसा नहीं कर पाता, मन उसका सबसे बड़ा शत्रु है।”
(अध्याय 6, श्लोक 6)

अर्थ:
मनुष्य का सबसे बड़ा युद्ध अपने मन के साथ होता है। जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है, वह संसार पर विजय प्राप्त कर लेता है।
मन पर नियंत्रण ही आत्म-विजय का प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

4. जीवन के उतार-चढ़ाव

“सुख-दुःख, लाभ-हानि और जीत-हार को समान समझो और अपने कर्तव्य का पालन करो।”
(अध्याय 2, श्लोक 38)

अर्थ:
जीवन में हर परिस्थिति अस्थायी है — न सुख स्थायी है, न दुःख।
श्रीकृष्ण हमें सिखाते हैं कि संतुलित रहना ही सच्ची बुद्धिमानी है। जब हम उतार-चढ़ाव में स्थिर रहते हैं, तब हम जीवन के सच्चे ज्ञानी बनते हैं।

5. वर्तमान में जीना सीखो

“जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह भी अच्छा हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।”

अर्थ:
यह श्रीकृष्ण का सबसे प्रसिद्ध विचार है, जो हमें सिखाता है कि अतीत की चिंता और भविष्य का भय छोड़कर वर्तमान में जीना ही सच्ची शांति है।
हर घटना किसी न किसी कारण से होती है — इसलिए भरोसा रखो कि जो भी हो रहा है, वह तुम्हारे हित में है।

6. सच्चे प्रेम का संदेश

“जो मुझसे प्रेम करता है, मैं उससे अनंत प्रेम करता हूँ।”

अर्थ:
ईश्वर के प्रेम की कोई सीमा नहीं।
यह हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम निःस्वार्थ होता है — जिसमें न अपेक्षा होती है, न शर्तें।
जो प्रेम केवल देने में आनंद पाता है, वही प्रेम ईश्वरीय कहलाता है।

7. आत्म-ज्ञान का महत्व

“ज्ञान से बढ़कर कोई शुद्ध करने वाला नहीं है।”
(अध्याय 4, श्लोक 38)

अर्थ:
ज्ञान ही वह प्रकाश है जो अंधकार को मिटाता है।
श्रीकृष्ण कहते हैं कि सच्चा ज्ञान ही मनुष्य को बंधनों से मुक्त करता है और उसे सत्य के मार्ग पर अग्रसर करता है।

8. भय का त्याग

“भय केवल मन का भ्रम है, इसे त्याग दो।”

अर्थ:
भय तब उत्पन्न होता है जब हम स्वयं पर विश्वास खो देते हैं।
श्रीकृष्ण सिखाते हैं कि भय रहित व्यक्ति ही स्वतंत्र जीवन जी सकता है।

9. सफलता का रहस्य

“मनुष्य अपने विश्वास से ही बनता या बिगड़ता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा ही वह बन जाता है।”

अर्थ:
आपका विश्वास ही आपकी वास्तविकता बनाता है।
यदि आप स्वयं पर विश्वास करते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।
सकारात्मक सोच ही सफलता का मूल है।

10. सच्चे मित्र का महत्व

“सच्चा मित्र वही है जो संकट के समय साथ खड़ा रहे।”

अर्थ:
संकट के समय में जो साथ दे, वही असली मित्र होता है।
श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता इसका सबसे सुंदर उदाहरण है।

11. आत्म-संयम

“जिसने इंद्रियों को वश में कर लिया है, वही सच्चा ज्ञानी है।”

अर्थ:
इंद्रियों पर नियंत्रण रखना ही आत्म-विकास की कुंजी है।
यह संयम हमें संतुलन, धैर्य और शक्ति प्रदान करता है।

12. सेवा का महत्व

“तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।”
(अध्याय 4, श्लोक 34)

अर्थ:
सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए विनम्रता और सेवा भाव आवश्यक है।
जो व्यक्ति सेवा करता है, वही ईश्वर के निकट पहुँचता है।

13. कभी हार मत मानो

“जब तक सांस है, प्रयास करना कभी मत छोड़ो।”

अर्थ:
लगातार प्रयास ही सफलता का मार्ग है।
असफलता अंत नहीं, बल्कि एक नया आरंभ है।

14. जीवन का असली सुख

“जो दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूँढता है, वही सच्चा सुखी है।”

अर्थ:
निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करना ही सच्चा आनंद है।
यह हमें आंतरिक शांति और संतोष देता है।

15. आंतरिक शक्ति

“मनुष्य अपने विचारों से ही शक्तिशाली बनता है।”

अर्थ:
सकारात्मक विचार हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं।
यदि मन में विश्वास है, तो कोई बाधा आपको रोक नहीं सकती।

16. सच्चा ज्ञान

“असत्य पर सत्य की विजय ही सच्चे ज्ञान की पहचान है।”

अर्थ:
सत्य का मार्ग कठिन जरूर होता है, लेकिन विजय उसी की होती है जो सच्चाई के साथ खड़ा रहता है।

17. मोह का त्याग

“मोह और आसक्ति ही दुःख का कारण हैं।”

अर्थ:
जब हम वस्तुओं या लोगों से अत्यधिक जुड़ जाते हैं, तब दुःख का जन्म होता है।
मोह को त्यागना ही सच्ची मुक्ति का मार्ग है।

18. कर्तव्य ही धर्म है

“अपने स्वधर्म का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है।”

अर्थ:
हर व्यक्ति को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
कर्तव्य ही सच्चे जीवन का आधार है।

19. आत्मा अमर है

“आत्मा न कभी जन्म लेती है और न ही कभी मरती है।”
(अध्याय 2, श्लोक 20)

अर्थ:
आत्मा शाश्वत है।
यह नष्ट नहीं होती, केवल शरीर बदलती है।
यह विचार हमें मृत्यु के भय से मुक्त करता है।

20. सबको समान देखो

“जो सब जीवों में समानता देखता है, वही सच्चा ज्ञानी है।”

अर्थ:
समानता और करुणा ही सच्ची भक्ति का आधार हैं।
हर प्राणी में ईश्वर का अंश विद्यमान है।

21. इच्छाओं का अंत

“इच्छा ही दुख का कारण है, इसलिए इच्छाओं को नियंत्रित करो।”

अर्थ:
अधिक इच्छाएँ मनुष्य को असंतुष्ट बनाती हैं।
कम इच्छाएँ ही अधिक सुख का मार्ग हैं।

Krishna Quotes in Hindi – जीवन के चार स्तंभ

श्रीकृष्ण के विचारों को चार मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है —
जो जीवन के चार स्तंभों की तरह हैं:

  1. प्रेरणा और साहस (Motivation & Courage)

  2. प्रेम और संबंध (Love & Relationships)

  3. ज्ञान और आत्म-विकास (Knowledge & Self-Growth)

  4. शांति और संतुलन (Peace & Balance)

प्रत्येक श्रेणी में उनके कुछ प्रमुख उपदेश हमें दिशा दिखाते हैं।
(जैसा आपके मूल ड्राफ्ट में है — इसे वैसे ही रखा जा सकता है।)

Krishna Quotes को जीवन में अपनाने के तरीके

श्रीकृष्ण के विचार केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में उतारने के लिए हैं।
यहाँ कुछ सरल उपाय दिए गए हैं, जिनसे आप इन्हें अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना सकते हैं:

1. सुबह की शुरुआत करें श्रीकृष्ण के विचार से

हर सुबह एक कोट पढ़ें और उस पर थोड़ी देर चिंतन करें।
यह आपके दिन की ऊर्जा और मानसिक स्थिति को सकारात्मक दिशा देगा।

2. ध्यान और जप में प्रयोग करें

किसी पसंदीदा श्लोक या कोट को मन में दोहराएँ।
यह आपके मन को स्थिर करेगा और आत्मा को शांति प्रदान करेगा।

3. परिवार के साथ साझा करें

परिवार में प्रतिदिन एक गीता श्लोक पर चर्चा करें।
यह न केवल ज्ञान बढ़ाएगा बल्कि घर में आध्यात्मिक वातावरण भी बनाएगा।

4. सोशल मीडिया पर प्रेरणा फैलाएँ

Krishna Quotes को ग्राफिक्स या स्टेटस के रूप में साझा करें।
इससे आप न केवल खुद को प्रेरित करेंगे, बल्कि दूसरों तक भी सकारात्मक ऊर्जा पहुँचाएँगे।

निष्कर्ष

 भगवान श्रीकृष्ण के ये Krishna Quotes in Hindi आपके जीवन में सकारात्मकता और शांति लाने का मार्ग हैं।
इन विचारों को केवल पढ़ने तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें अपने दैनिक जीवन में लागू करें।
जब हम श्रीकृष्ण के उपदेशों को अपने आचरण का हिस्सा बना लेते हैं, तब जीवन की हर कठिनाई एक अवसर बन जाती है।

“भगवान श्रीकृष्ण का ज्ञान केवल शास्त्रों तक सीमित नहीं है, यह जीवन का वास्तविक मार्गदर्शन है।”

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