90+ Bhagavad Gita Quotes in Hindi – जीवन बदलने वाले अनमोल विचार

भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन का मार्गदर्शक है। यह हमें बताती है कि जीवन में कठिनाइयाँ, दुख, सुख, संघर्ष और परिवर्तन हमेशा आते रहेंगे, लेकिन हमें इन सबके बीच अपने कर्म, धर्म और आत्म-नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।

महाभारत के युद्ध के समय, जब अर्जुन अपने कर्तव्यों को लेकर भ्रमित थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया। गीता का यह ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था।

यदि आप जीवन में प्रेरणा, आत्मविश्वास और शांति की तलाश में हैं, तो गीता के ये 90+ अनमोल उद्धरण (Bhagavad Gita Quotes in Hindi) आपके जीवन को एक नई दिशा देंगे। आइए इन्हें विस्तार से पढ़ते हैं।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Table of contents

भाग 1: कर्म पर गीता के उद्धरण (Quotes on Karma)

गीता का सबसे प्रसिद्ध संदेश है – “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”
श्रीकृष्ण ने सिखाया कि हमें केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, परिणाम पर नहीं। जब हम निष्काम भाव से कर्म करते हैं, तो सफलता अपने आप मिलती है।

  1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। – आपका अधिकार केवल कर्म करने में है, फल पर नहीं।
  2. योगः कर्मसु कौशलम्। – कर्म में कुशलता ही योग है।
  3. केवल कर्म करो, फल की चिंता छोड़ दो।
  4. कर्म करते रहो, बिना रुके और बिना थके।
  5. अपूर्ण कर्म करना भी निष्क्रियता से बेहतर है।
  6. सफलता का रहस्य कर्म में छिपा है, न कि केवल परिणाम में।
  7. निष्काम भाव से किया गया कर्म ही सबसे श्रेष्ठ है।
  8. कर्म ही पूजा है, क्योंकि कर्म के बिना जीवन अधूरा है।
  9. हर कर्म का फल निश्चित है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।
  10. कर्म ही जीवन का वास्तविक धर्म है।

श्रीकृष्ण का यह उपदेश हमें सिखाता है कि सच्ची सफलता उन्हीं को मिलती है जो परिणाम की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य निभाते हैं।

भाग 2: आत्म-नियंत्रण और मन की शक्ति (Quotes on Self-Control and Mind Power)

मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र और सबसे बड़ा शत्रु उसका अपना मन है। यदि मन को साध लिया जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। लेकिन यदि मन को भटकने दिया जाए, तो पतन निश्चित है।

  1. मन ही मनुष्य का मित्र और शत्रु है।
  2. क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है और भ्रम से बुद्धि का नाश होता है।
  3. जो अपने मन को जीतता है वही सच्चा विजयी होता है।
  4. इंद्रियों पर नियंत्रण रखने वाला ही ज्ञानी कहलाता है।
  5. योग का सार मन का संयम है।
  6. धैर्य ही सफलता का पहला कदम है।
  7. मन को वश में करना ही सबसे बड़ी साधना है।
  8. जो व्यक्ति क्रोध पर विजय प्राप्त करता है, वही सच्चा ज्ञानी है।
  9. आत्मसंयम ही आत्मविजय है।
  10. शांत मन ही सही निर्णय ले सकता है।

गीता सिखाती है कि आत्म-नियंत्रण के बिना सफलता संभव नहीं है। यह केवल योग या साधना में ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में भी उतना ही आवश्यक है।

भाग 3: सफलता और प्रेरणा के लिए गीता उद्धरण (Quotes for Success and Motivation)

हर व्यक्ति जीवन में सफलता पाना चाहता है, लेकिन इसके लिए सही दृष्टिकोण और लगन की आवश्यकता होती है। गीता हमें यह सिखाती है कि असफलता भी एक सीख है और प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

  1. जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ।
  2. जो हो रहा है, वह अच्छे के लिए हो रहा है।
  3. जो होगा, वह भी अच्छे के लिए होगा।
  4. सफलता उन्हीं को मिलती है जो कभी हार नहीं मानते।
  5. परिवर्तन ही जीवन का नियम है।
  6. निरंतर प्रयास ही सफलता का मार्ग है।
  7. आत्मविश्वास सबसे बड़ी शक्ति है।
  8. सच्चा सुख भीतर से आता है, बाहरी चीज़ों से नहीं।
  9. असफलता भी एक शिक्षक है।
  10. सपनों के पीछे लगन जरूरी है, तभी वे पूरे होते हैं।

इन उद्धरणों से स्पष्ट है कि यदि हम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रखें और निरंतर प्रयास करते रहें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

भाग 4: अध्यात्म और मोक्ष पर गीता उद्धरण (Quotes on Spirituality and Liberation)

भगवद गीता का अंतिम लक्ष्य आत्मज्ञान और मोक्ष है। यह हमें बताती है कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर। जब हम इस सत्य को समझ लेते हैं, तब जीवन के उतार-चढ़ाव हमें विचलित नहीं कर पाते।

  1. आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।
  2. आत्मा का वध नहीं हो सकता, यह अविनाशी है।
  3. ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है।
  4. अज्ञान ही बंधन का कारण है।
  5. भक्ति ही परम मार्ग है।
  6. अहंकार मोक्ष का सबसे बड़ा बाधक है।
  7. माया से परे ही सच्चा सुख है।
  8. समत्व ही योग है – सुख-दुख में समान रहना।
  9. ईश्वर हर प्राणी में विद्यमान है।
  10. वैराग्य से मोक्ष प्राप्त होता है।
  11. ध्यान आत्मज्ञान का सर्वोत्तम साधन है।
  12. सच्चा सुख आत्मज्ञान में है।
  13. जब आत्मा को पहचानते हैं, तो सभी दुख समाप्त हो जाते हैं।
  14. ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग भक्ति है।
  15. परम शांति केवल ईश्वर में समर्पण से मिलती है।

भाग 5: कर्तव्य और नेतृत्व पर गीता उद्धरण (Quotes on Duty and Leadership)

भगवद गीता हमें यह सिखाती है कि हर व्यक्ति को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। सच्चा नेता वह है जो निःस्वार्थ होकर समाज के लिए कार्य करता है।

  1. कर्तव्य का पालन ही सच्ची पूजा है।
  2. सच्चा नेता सबके हित में कार्य करता है।
  3. कर्तव्यहीन जीवन व्यर्थ है।
  4. दूसरों की सेवा ही सच्चा धर्म है।
  5. निडर व्यक्ति ही सच्चा योद्धा होता है।
  6. न्यायप्रिय नेता ही समाज को ऊंचा उठाता है।
  7. आलस्य पतन का कारण है, कर्तव्य में आलस्य न करें।
  8. लोकहित में किया गया कार्य ही श्रेष्ठ है।
  9. कर्तव्य का पालन व्यक्ति को महान बनाता है।
  10. नेता वही है जो स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करे।

भाग 6: गहन जीवन-दर्शन (Deep Life Philosophy)

गीता हमें जीवन का गहरा दर्शन सिखाती है। यह बताती है कि जीवन अस्थायी है, और आत्मा ही शाश्वत है।

  1. मृत्यु निश्चित है और जन्म भी निश्चित है।
  2. आत्मा अविनाशी है और कभी नष्ट नहीं होती।
  3. धर्म की रक्षा करने वाले की ईश्वर रक्षा करता है।
  4. संसार अस्थायी है, केवल आत्मा स्थायी है।
  5. ज्ञान से अज्ञान का नाश होता है।
  6. मोह ही बंधन का कारण है।
  7. समत्व ही परम धर्म है।
  8. जीवन हमारे कर्म का परिणाम है।
  9. अहंकार विनाश का कारण है।
  10. सच्चा सुख आत्मज्ञान में है, बाहरी वस्तुओं में नहीं।
  11. ईश्वर सर्वव्यापक है और सबमें विद्यमान है।
  12. जो स्वयं को जानता है, वह सारा संसार जान लेता है।
  13. आत्मज्ञान ही परम धन है।
  14. सच्ची भक्ति निःस्वार्थ सेवा में है।
  15. विनम्रता ही महानता की पहचान है।

भाग 7: सकारात्मक जीवन के लिए गीता उद्धरण (Positive Living Quotes)

  1. हर कठिनाई एक अवसर है।
  2. हर चुनौती हमें मजबूत बनाती है।
  3. वर्तमान ही सबसे बड़ा खजाना है।
  4. अतीत को स्वीकार करें और भविष्य की चिंता न करें।
  5. जीवन का हर अनुभव एक सीख है।
  6. दुःख अस्थायी है, लेकिन ज्ञान स्थायी है।
  7. सुख-दुख में समान रहना ही सच्चा संतुलन है।
  8. कर्म करते रहो, ईश्वर पर भरोसा रखो।
  9. सच्ची शक्ति भीतर से आती है।
  10. विश्वास ही जीवन का आधार है।
  11. हर घटना किसी कारण से होती है।
  12. सच्चा सुख दूसरों को सुख देने में है।
  13. धैर्य और विश्वास सफलता की चाबी हैं।
  14. परिवर्तन से डरना नहीं चाहिए।
  15. सकारात्मक सोच से जीवन बदलता है।
  16. जीवन वही है जैसा हम सोचते हैं।
  17. सच्चा आनंद दूसरों की मदद करने में है।
  18. भक्ति हृदय को पवित्र बनाती है।
  19. बिना अपेक्षा के प्रेम ही सच्चा प्रेम है।
  20. जीवन को सरल और सच्चा बनाए रखें।

भाग 8: गीता के शिक्षाओं को जीवन में अपनाने के तरीके

केवल गीता पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसकी शिक्षाओं को जीवन में लागू करना जरूरी है।
यहां कुछ व्यावहारिक तरीके दिए गए हैं:

  • नियमित अध्ययन – हर दिन गीता का एक श्लोक पढ़ें और उसका अर्थ समझें।
  • ध्यान और योग – मन को शांत करने और आत्म-नियंत्रण बढ़ाने के लिए।
  • निष्काम सेवा – बिना अपेक्षा के दूसरों की मदद करना।

  • सकारात्मक सोच – हर परिस्थिति को अवसर के रूप में देखना।
  • संतुलित जीवन – काम, परिवार और आध्यात्मिकता में संतुलन बनाना।

निष्कर्ष

भगवद गीता के ये 90+ उद्धरण जीवन के हर पहलू को स्पर्श करते हैं।
ये हमें सिखाते हैं कि:

  • कर्म ही पूजा है।
  • आत्म-नियंत्रण ही असली शक्ति है।
  • भक्ति और विश्वास से जीवन में शांति आती है।
  • सुख-दुख में समान रहना ही सच्चा योग है।

यदि हम गीता की इन शिक्षाओं को अपनाते हैं, तो हम न केवल सफल होंगे बल्कि आंतरिक शांति और संतोष भी प्राप्त करेंगे।


Frequently Asked Questions (FAQs) – Bhagavad Gita Quotes in Hindi

1: भगवद गीता क्या है और इसका महत्व क्या है?

भगवद गीता एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है जो महाभारत का हिस्सा है। इसमें श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद है, जिसमें जीवन, धर्म, कर्म और आत्मज्ञान के गहन सिद्धांत बताए गए हैं। यह हमें सिखाती है कि निष्काम भाव से कर्म करते हुए जीवन को संतुलित और सफल कैसे बनाया जाए।

2: गीता के उद्धरण क्यों पढ़ने चाहिए?

गीता के उद्धरण पढ़ने से जीवन में सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास और शांति का विकास होता है। ये हमें सही निर्णय लेने में मदद करते हैं और कठिन परिस्थितियों का सामना करने का साहस देते हैं। गीता के विचार मन को स्पष्ट करते हैं और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

3: गीता के उपदेशों को जीवन में कैसे अपनाएं?

गीता के उपदेशों को जीवन में अपनाने के लिए प्रतिदिन एक श्लोक पढ़ें, उसका अर्थ समझें और उसे व्यवहार में लागू करें। निष्काम भाव से कर्म करें, दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करें, योग और ध्यान का अभ्यास करें, और हर परिस्थिति में धैर्य और सकारात्मक सोच बनाए रखें।

4: गीता किसने और कब कही थी?

भगवद गीता का उपदेश श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया था। यह तब हुआ जब अर्जुन अपने कर्तव्यों को लेकर भ्रमित और दुखी थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें धर्म, कर्म और आत्मा का ज्ञान देकर सही मार्ग दिखाया।

5: क्या भगवद गीता का ज्ञान आज के समय में भी उपयोगी है?

हाँ, गीता का ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यह न केवल आध्यात्मिक जीवन में बल्कि व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी मार्गदर्शन देती है। गीता हमें सिखाती है कि कैसे तनाव, क्रोध और भ्रम को नियंत्रित कर संतुलन और सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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